गड़रिया की कहानी | Gadariya ki kahani

एक गडरिया था वह ऊंचे पहाड़ों पर जाकर रोज भेड चराया करता था एक दिन भेड़ो को चराते समय गडरिया जोर-जोर से चिल्लाने लगा कि भेड़िया आया भेड़िया आया बचाओ तब वहां पर आसपास के लोग दौड़कर उसके पास आए और पूछा चरवाहे भेड़िया कहां है, चरवाहा जोर-जोर से हंसने लगा और कहा भेड़िया तो था ही नहीं मैं तो सबको बेवकूफ बना रहा था।

नमस्कार दोस्तों आज हम आपको एक गडरिया की कहानी (Gadariya ki kahani) सुनाने जा रहे हैं इस कहानी से हमें बहुत ही सुंदर शिक्षा मिलती है उम्मीद है आपको यह कहानी पसंद आएगी चलिए शुरू करते हैं

एक गडरिया था वह ऊंचे पहाड़ों पर जाकर रोज भेड चराया करता था एक दिन भेड़ो को चराते समय गडरिया जोर-जोर से चिल्लाने लगा कि भेड़िया आया भेड़िया आया बचाओ तब वहां पर आसपास के लोग दौड़कर उसके पास आए और पूछा चरवाहे भेड़िया कहां है, चरवाहा जोर-जोर से हंसने लगा और कहा भेड़िया तो था ही नहीं मैं तो सबको बेवकूफ बना रहा था।

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एक दिन और गडरिया अपनी भेड़ चरा रहा उसने एक बार फिर चिल्लाना चालू किया भागो भेड़िया आया बचाओ बचाओ आसपास के किसान जो काम में व्यस्त थे वह तुरंत दौड़कर उसके पास आए और पूछा कहां है भेड़िया वह फिर हंसने लगा और कहने लगा मैं तो सबको बेवकूफ बना रहा था ।
उसकी ऐसी हरकतों से आसपास के सारे किसान उससे परेशान हो गए क्या हमें रोज ऐसे ही बेवकूफ बनाता है।
ऐसे ही कुछ दिन बीते उसके बाद गडरिया भेड़ चराते समय एक बार फिर चिल्लाने लगा भेड़िया आया बचाओ बचाओ भेड़िया आया बचाओ बचाओ लेकिन किसानों ने सोचा कि यह तो हमेशा झूठ बोलता है भेड़िया नहीं है, और कोई भी किसान उसके पास नहीं गया इस बार सचमुच में भेड़िया था उसने उस गडरिया को खो गया।

इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए झूठ बोलने से हमेशा नुकसान ही होता है।